
एक गृहणी से लेकर बिजनेस एम्पायर की मलिका तक… जानिए सावित्री जिंदल के संघर्ष और सफलता की प्रेरक कहानी सावित्री जिंदल की कहानी सिर्फ पैसे या पावर की नहीं, बल्कि उस मजबूत इरादे की है जो समाज की रूढ़ियों को तोड़कर नई मिसाल कायम करती है। उनका जीवन हर उस युवा, महिला, और उद्यमी के लिए प्रेरणा है जो मुश्किलों से लड़कर सफलता की इबारत लिखना चाहते हैं। भारत के पुरुष-प्रधान उद्योग जगत में सावित्री जिंदल न सिर्फ एक नाम बल्कि एक “विरासत” हैं। ओ.पी. जिंदल ग्रुप की चेयरपर्सन और हरियाणा की पूर्व मंत्री सावित्री जिंदल ने अपने दृढ़ निश्चय से साबित किया कि महिलाएं न सिर्फ घर, बल्कि बिजनेस और राजनीति में भी बड़े मुकाम हासिल कर सकती हैं। फोर्ब्स की 2023 रिपोर्ट के मुताबिक, उनकी कुल संपत्ति लगभग 18.4 अरब डॉलर है, जो उन्हें भारत की सबसे अमीर महिला बनाती है। आइए जानते हैं उनके जीवन के संघर्ष, सफलता और सीख के पन्ने…
प्रारंभिक जीवन: एक साधारण परिवार से उठकर
सावित्री जिंदल का जन्म 20 मार्च 1950 को तेलंगाना के एक मध्यमवर्गीय मारवाड़ी परिवार में हुआ। उनकी शादी महज 17 साल की उम्र में स्टील किंग कहे जाने वाले ओम प्रकाश जिंदल से हुई। शादी के बाद वह घर-परिवार संभालने लगीं, लेकिन उनके जीवन का सबसे बड़ा मोड़ 2005 में आया, जब एक हेलिकॉप्टर क्रैश में उनके पति की मौत हो गई। इसके बाद उन्होंने न सिर्फ परिवार को संभाला, बल्कि पति के बिजनेस एम्पायर को भी नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया।
जिंदल ग्रुप की कमान संभालना: चुनौतियों से जूझते हुए
ओ.पी. जिंदल ग्रुप भारत के सबसे बड़े स्टील, पावर, और इन्फ्रास्ट्रक्चर कंपनियों में से एक है। पति की मृत्यु के बाद सावित्री जिंदल ने ग्रुप की कमान संभाली, जो उस समय कर्ज और प्रबंधन के संकट से जूझ रहा था। उन्होंने न सिर्फ कंपनी को स्थिर किया, बल्कि JSW स्टील, Jindal Stainless, और Jindal Power जैसी कंपनियों को नए बाजारों में विस्तार दिया। आज यह ग्रुप 50,000 करोड़ रुपए से अधिक के टर्नओवर के साथ वैश्विक स्तर पर मौजूद है।

राजनीति में कदम: हरियाणा की पहली महिला मंत्री
सावित्री जिंदल ने 2005 में हरियाणा विधानसभा चुनाव जीता और शहरी विकास मंत्री बनीं। उन्होंने ग्रामीण इलाकों में बुनियादी सुविधाओं के विकास पर खास ध्यान दिया। हालांकि, 2014 में उन्होंने राजनीति से सन्यास ले लिया, लेकिन उनका परिवार आज भी राजनीतिक रूप से सक्रिय है।
परोपकार और समाज सेवा: दान की मिसाल
सावित्री जिंदल ने अपने पति की याद में ओ.पी. जिंदल चैरिटेबल ट्रस्ट बनाया, जो शिक्षा, स्वास्थ्य, और महिला सशक्तिकरण पर काम करता है। उन्होंने हरियाणा में अस्पताल, स्कूल, और कॉलेज बनवाए हैं। कोविड-19 महामारी के दौरान उनके ग्रुप ने 100 करोड़ रुपए दान देकर राहत कार्यों में मदद की।
परिवार: चार बेटे और एक साम्राज्य
सावित्री जिंदल के चार बेटे – प्रताप जिंदल, सज्जन जिंदल, रतन जिंदल, और नवीन जिंदल – ग्रुप की अलग-अलग कंपनियों का नेतृत्व करते हैं। यह परिवार भारत के सबसे धनी परिवारों में शुमार है, लेकिन सावित्री आज भी सादगी से रहती हैं और ग्रुप के बड़े फैसलों में अहम भूमिका निभाती हैं।
पुरस्कार और सम्मान
- 2006 में पद्म भूषण से सम्मानित।
- फोर्ब्स की लिस्ट में लगातार भारत की टॉप-5 महिला अरबपतियों में शामिल।
- ET Awards में “बिजनेसवुमन ऑफ द ईयर” का खिताब।
सीख: सावित्री जिंदल के जीवन से लीजिए ये 5 सबक
- संकट में संयम: पति की मौत के बाद उन्होंने हिम्मत नहीं हारी, बल्कि परिवार और बिजनेस को संभाला।
- शिक्षा पर जोर: उनका मानना है कि शिक्षा ही समाज और व्यवसाय को बदल सकती है।
- महिलाओं को आगे बढ़ाएं: उनके संस्थानों में 40% कर्मचारी महिलाएं हैं।
- निवेश में साहस: उन्होंने स्टील सेक्टर में नए प्रोजेक्ट्स लॉन्च करके जोखिम उठाया।
- सादगी और समर्पण: अरबपति होने के बावजूद वह साधारण जीवन जीती हैं।