राज ठाकरे का आज का भाषण: मराठी अस्मिता और राजनीति

मुंबई: महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) के अध्यक्ष राज ठाकरे ने आज मुंबई में एक जोशीले भाषण में मराठी माणसाच्या हक्कांवर (मराठी मनुष्य के अधिकारों पर) जोर दिया। उन्होंने राज्य में बढ़ते “बाहरी प्रभाव” पर चिंता जताई और सरकार से मराठी युवाओं के लिए रोजगार सुनिश्चित करने की मांग की।आज, 30 मार्च 2025 को, महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के अध्यक्ष राज ठाकरे ने मुंबई के शिवाजी पार्क में गुढी पाडवा मेळावा के अवसर पर एक भाषण दिया। इस भाषण में उन्होंने मराठी भाषा, महाराष्ट्र की राजनीति, औरंगज़ेब की कब्र, और अन्य समसामयिक मुद्दों पर अपने विचार प्रस्तुत किए।​

मुख्य बिंदु:मराठी भाषा और संस्कृति का संरक्षण: राज ठाकरे ने कहा कि मराठी भाषा और संस्कृति को बचाने के लिए सख्त कदम उठाने होंगे। उन्होंने दुकानों, होर्डिंग्स और सरकारी कार्यालयों में मराठी का अनिवार्य उपयोग करने की मांग की।शिवसेना (शिंदे गुट) और भाजपा पर हमला बोलते हुए कहा— “ये पार्टियाँ अब मराठी हितों की नहीं, बल्कि दिल्ली के आदेशों की पालन करती हैं।” “MNS ही एकमात्र पार्टी है जो मराठी माणसासाठी खरोखर लढतेय!” (MNS ही एकमात्र पार्टी है जो मराठी व्यक्ति के लिए सच में लड़ती है।)राज ठाकरे का यह भाषण 2024 के बाद की राजनीति में MNS को फिर से प्रासंगिक बनाने की कोशिश लगता है। हालाँकि, पिछले कुछ सालों में उनकी पार्टी का प्रभाव कम हुआ है, लेकिन मराठी अस्मिता और रोजगार का मुद्दा अभी भी युवाओं को आकर्षित कर सकता है। राज ठाकरे का हालिया भाषण और गतिविधियाँ महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के प्रमुख राज ठाकरे ने हाल ही में मुंबई के शिवाजी पार्क में गुढी पाडवा के अवसर पर एक महत्वपूर्ण भाषण दिया।

उनके इस संबोधन में मराठी भाषा की स्थिति, महाराष्ट्र की राजनीति और सांस्कृतिक पहचान से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर चर्चा हुई। भाषण के मुख्य बिंदु: मराठी पहचान और भाषा: ठाकरे ने महाराष्ट्र में मराठी भाषा के संरक्षण और प्रचार-प्रसार पर जोर दिया। उन्होंने उन व्यवसायों और संस्थानों की आलोचना की जो मराठी में सेवाएँ प्रदान नहीं करते और मनसे की भाषा नीतियों को लागू करने की प्रतिबद्धता दोहराई। राजनीतिक टिप्पणी: उन्होंने अपने राजनीतिक विरोधियों पर निशाना साधते हुए राज्य प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल उठाए और नेतृत्व व विकास से जुड़े मुद्दों पर अपनी बात रखी। औरंगज़ेब की कब्र का मुद्दा: ठाकरे ने महाराष्ट्र में औरंगज़ेब की कब्र से जुड़ी विवादित घटनाओं का जिक्र किया और ऐतिहासिक तथ्यों को स्पष्ट करने की जरूरत बताई।

मनसे की भविष्य की रणनीति: उन्होंने मनसे के आगामी योजनाओं की घोषणा की, जिसमें स्थानीय मराठियों के अधिकारों के लिए नए अभियानों और पार्टी के विस्तार की रूपरेखा शामिल है। हाल की विवादित घटनाएँ: डी-मार्ट विवाद: हाल ही में मुंबई के एक डी-मार्ट स्टोर में मनसे कार्यकर्ताओं ने एक कर्मचारी को मराठी न बोलने के लिए माफी मांगने पर मजबूर किया। इस घटना ने महाराष्ट्र में भाषाई राष्ट्रवाद पर फिर से चर्चा छेड़ दी। गंगा जल पर टिप्पणी: राज ठाकरे ने हाल ही में गंगा नदी की स्वच्छता पर सवाल उठाते हुए कहा कि वे उसका पानी छू भी नहीं सकते। इस बयान ने राजनीतिक और सामाजिक हलकों में बहस छेड़ दी।

प्रभाव और जन प्रतिक्रिया: राज ठाकरे का यह भाषण एक बार फिर महाराष्ट्र की क्षेत्रीय पहचान और राजनीति के केंद्र में आ गया है। जहाँ कुछ समर्थक उनकी मराठी अस्मिता की सोच की सराहना कर रहे हैं, वहीं आलोचक इसे अनावश्यक विभाजन पैदा करने वाला कदम मान रहे हैं। आगामी चुनावों को देखते हुए, यह देखना दिलचस्प होगा कि ठाकरे की यह बयानबाजी मनसे के लिए राजनीतिक रूप से कितनी फायदेमंद साबित होती है। रोजगार में मराठी युवाओं को प्राथमिकता: उन्होंने कहा, “महाराष्ट्र में कंपनियों को पहले मराठी युवाओं को नौकरी देनी चाहिए। अगर यहां के लोगों को ही रोजगार नहीं मिलेगा, तो विकास का क्या मतलब.

” अनधिकृत अप्रवासियों पर सख्ती: राज ठाकरे ने बाहर से आने वाले “अनधिकृत लोगों” पर कार्रवाई की मांग की और कहा कि सरकार को स्लम और अवैध निर्माणों पर सख्ती से काम करना चाहिए। राजनीतिक दलों पर हमला: उन्होंने शिवसेना और भाजपा पर महाराष्ट्र के मुद्दों को नजरअंदाज करने का आरोप लगाया और कहा कि MNS ही एकमात्र पार्टी है जो मराठी माणसाची लढाई (मराठी व्यक्ति की लड़ाई) लड़ रही है। राज ठाकरे का भाषण उनकी पार्टी के पुराने एजेंडे को दोहराता है, लेकिन मराठी अस्मिता और रोजगार का मुद्दा आज भी युवाओं को प्रभावित करता है। आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि उनकी बातों का महाराष्ट्र की राजनीति पर क्या प्रभाव पड़ता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *