
भारत और इंडोनेशिया के बीच ब्रह्मोस मिसाइल डील को लेकर चर्चा तेज हो रही है। यह डील दोनों देशों के रणनीतिक और रक्षा सहयोग को एक नए स्तर पर ले जाने की दिशा में अहम कदम हो सकती है। इंडोनेशिया की सेना के प्रमुख और रक्षा मंत्री प्रबोवो सुबिआंतो भारत से इस उन्नत सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल को खरीदने संभावना पर विचार कर रहे हैं। सूत्रों के अनुसार, इंडोनेशिया के रक्षा मंत्रालय ने 450 मिलियन डॉलर के ब्रह्मोस मिसाइल सौदे के संबंध में जकार्ता में भारतीय दूतावास को एक आधिकारिक संदेश भेजा है।
ब्रह्मोस मिसाइल की खासियत:
- लचीलापन: इसे जमीन, समुद्र और हवा से लॉन्च किया जा सकता है।
- स्पीड और रेंज: इसकी रेंज 290 से 450 किलोमीटर तक हो सकती है और जो 2.8 मैक की गति से उड़ान भर सकती है ब्रह्मोस दुनिया की सबसे तेज़ सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है।
- सटीकता: यह मिसाइल उच्च सटीकता के साथ अपने लक्ष्य को भेदने में सक्षम है।
क्यों महत्वपूर्ण है यह डील?
- आत्मनिर्भर भारत अभियान: ‘मेक इन इंडिया’ पहल को भी बल मिलेगा और भारत के रक्षा निर्यात को बढ़ावा मिलेगा ।
- हिंद-प्रशांत क्षेत्र में रणनीतिक बढ़त:ब्रह्मोस डील इंडोनेशिया और भारत दोनों हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सुरक्षा को लेकर सहयोग बढ़ा रहे हैं। ब्रह्मोस डील से इंडोनेशिया अपनी समुद्री सीमाओं की सुरक्षा को मजबूत कर सकेगा।
- रक्षा संबंधों में वृद्धि: यह डील भारत और इंडोनेशिया के बीच बढ़ते रक्षा संबंधों को और मजबूती देगी।
संभावित प्रभाव:
यह भारत को वैश्विक रक्षा बाजार में मजबूत खिलाड़ी के रूप में स्थापित करेगा। इस डील से इंडोनेशिया को केवल अपनी रक्षा क्षमताओं को मजबूत करने का मौका मिलेगा, बल्कि यह क्षेत्र में बढ़ती चीनी आक्रामकता के खिलाफ एक कड़ा संदेश भी होगा। साथ ही।
आधिकारिक पुष्टि और डील की अन्य शर्तों के लिए, आगे की घोषणाओं का इंतजार किया जा रहा है।
ब्रह्मोस डील के रणनीतिक पहलू
इंडोनेशिया और भारत के बीच प्रस्तावित ब्रह्मोस मिसाइल सौदा केवल एक साधारण रक्षा समझौता नहीं है, बल्कि यह दोनों देशों के रणनीतिक हितों और सहयोग को नई दिशा में ले जाने वाला कदम है।
1. हिंद-प्रशांत क्षेत्र में बढ़ता तनाव
इंडोनेशिया, जिसकी समुद्री सीमाएँ चीन से जुड़ी हैं, ब्रह्मोस मिसाइल की मदद से अपनी सैन्य क्षमताओं को मजबूत कर सकेगा। यह क्षेत्रीय शांति और स्थिरता बनाए रखने में मदद करेगा। हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन का बढ़ता प्रभाव और दक्षिण चीन सागर में उसकी आक्रामकता कई देशों के लिए चिंता का कारण है।
2. भारत के रक्षा निर्यात की बड़ी छलांग
ब्रह्मोस, जो भारत और रूस का संयुक्त उपक्रम है, पहले से ही दुनिया की सबसे तेज सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों में से एक है। भारत लंबे समय से अपने रक्षा उपकरणों के निर्यात को बढ़ाने की कोशिश कर रहा है।
- ग्लोबल प्लेयर के तौर पर उभरता भारत: इस डील से भारत की छवि एक विश्वसनीय रक्षा आपूर्तिकर्ता के रूप में और मजबूत होगी।
- फिलीपींस: भारत ने 2022 में फिलीपींस को भी ब्रह्मोस मिसाइल बेची थी। इंडोनेशिया के साथ यह डील भारत के लिए एक और बड़ी उपलब्धि होगी।
3. इंडोनेशिया के लिए लाभ
- चीन को जवाब: चीन के बढ़ते प्रभाव को रोकने के लिए इंडोनेशिया को अपनी सैन्य क्षमताओं को आधुनिक बनाना होगा, और ब्रह्मोस इसमें एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
- समुद्री सुरक्षा: इंडोनेशिया के पास दुनिया का सबसे बड़ा द्वीपसमूह है। ब्रह्मोस मिसाइल के जरिए वह अपनी समुद्री सीमाओं की बेहतर सुरक्षा कर सकेगा।
तकनीकी पहलू
- तकनीकी साझेदारी
भारत और इंडोनेशिया के बीच यह समझौता सिर्फ हथियारों की आपूर्ति तक सीमित नहीं रहेगा। इसमें तकनीकी सहायता, ट्रेनिंग और जॉइंट वर्कशॉप की संभावनाएं भी हो सकती हैं। - मिसाइल की लागत
एक ब्रह्मोस मिसाइल की कीमत करीब $5 मिलियन (लगभग 40 करोड़ रुपये) होती है। बड़े ऑर्डर के तहत यह लागत और अधिक हो सकती है। - रक्षा उद्योग में नई संभावनाएं
इंडोनेशिया को मिसाइल डिलीवरी के साथ-साथ इसे ऑपरेट करने के लिए आवश्यक तकनीकी सहायता और ट्रेनिंग भी मिलेगी, जिससे इंडोनेशिया का सैन्य ढांचा और मजबूत होगा।
भारत-इंडोनेशिया संबंधों पर असर
- सांस्कृतिक साझेदारी: भारत और इंडोनेशिया के बीच गहरा सांस्कृतिक और ऐतिहासिक जुड़ाव है।
- आर्थिक संबंध: इस डील के बाद व्यापार और निवेश के क्षेत्र में भी सहयोग बढ़ने की संभावना है।
- यह डील दोनों देशों के राजनयिक, आर्थिक और रक्षा संबंधों को मजबूत करेगी।
आने वाले कदम
- डील की घोषणा इंडोनेशियाई राष्ट्रपति प्रबोवो सुबिआंतो और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मुलाकात के दौरान होने की उम्मीद है। ब्रह्मोस मिसाइल डील न केवल एक सैन्य सहयोग है, इंडोनेशिया और भारत के अधिकारियों के बीच उच्च-स्तरीय वार्ता के बाद समझौते की अंतिम रूपरेखा तैयार की जा सकती है।
- बल्कि यह एशिया-प्रशांत क्षेत्र में स्थिरता और सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण पहल है। भारत और इंडोनेशिया का यह कदम वैश्विक मंच पर एक मजबूत संदेश देगा।