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भारत-अमेरिका व्यापार संबंधों में ऐतिहासिक प्रगति 500 अरब डॉलर का लक्ष्य: 2030

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच हाल ही में हुई मुलाकात ने भारत-अमेरिका संबंधों को और मजबूत करने की दिशा में कई महत्वपूर्ण घोषणाएं कीं। यह मुलाकात 13 फरवरी 2025 को व्हाइट हाउस में हुई, जिसमें दोनों नेताओं ने व्यापार, रक्षा, और वैश्विक सुरक्षा जैसे मुद्दों पर चर्चा की। भारत और अमेरिका के व्यापारिक संबंध लगातार प्रगति कर रहे हैं और 2030 तक 500 अरब डॉलर के द्विपक्षीय व्यापार के लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में अग्रसर हैं। वर्तमान में, दोनों देशों के बीच व्यापार और निवेश सहयोग महत्वपूर्ण स्तर पर है, और इसे और अधिक बढ़ाने के लिए कई पहल की जा रही हैं।

1. व्यापार संबंधों का विस्तार

दोनों देशों ने 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को $500 बिलियन तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा है। इसके लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता, सेमीकंडक्टर, और रणनीतिक खनिजों की आपूर्ति श्रृंखला जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर जोर दिया गया। ट्रंप ने “रिसिप्रोकल टैरिफ” (प्रतिदायी शुल्क) लागू करने की योजना की घोषणा की, जिसका उद्देश्य अमेरिकी उत्पादों पर लगने वाले विदेशी शुल्कों को संतुलित करना है। इसका भारत-अमेरिका व्यापार संबंधों पर प्रभाव पड़ सकता है। भारत-अमेरिका व्यापार संबंधों में ऐतिहासिक प्रगति 500 अरब डॉलर का लक्ष्य: 2030 तक भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार को $500 अरब तक पहुंचाने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा गया है। इसके लिए “मिशन 500” के तहत टेक्नोलॉजी, स्वास्थ्य सेवा, कृषि और वस्त्र जैसे क्षेत्रों पर फोकस किया जाएगा। रणनीतिक साझेदारी: प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति ट्रंप की बैठक के बाद रक्षा, ऊर्जा सुरक्षा, एआई इंफ्रास्ट्रक्चर, और 5जी जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर सहमति हुई है। जलवायु परिवर्तन: व्यापारिक निर्णयों में पर्यावरणीय जोखिमों को शामिल करना। उदाहरण के लिए, WEF के अनुसार, 2050 तक वैश्विक GDP में 18% की कमी का अनुमान है।सामाजिक असमानता: व्यापार को समावेशी बनाने के लिए स्थानीय समुदायों के साथ सहयोग करना। मुद्रास्फीति और ऋण: IMF के अनुसार, 2025 में वैश्विक मुद्रास्फीति 4.2% तक कम होने का अनुमान है, लेकिन व्यापार युद्धों से जोखिम बना हुआ है इसमें अमेरिकी रक्षा उपकरणों के सह-उत्पादन और तकनीकी विनिमय शामिल हैं57। निवेश और रोजगार: अमेरिकी निवेश से भारत में नए उद्योगों, विशेष रूप से नवीकरणीय ऊर्जा और रक्षा क्षेत्र में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। ‘मेक इन इंडिया’ पहल को भी गति मिलेगी।

500 अरब डॉलर का लक्ष्य कैसे पूरा होगा?

2. रक्षा सहयोग

ट्रंप ने भारत को F-35 स्टील्थ जेट्स की आपूर्ति की संभावना जताई, जो भारत की रक्षा क्षमताओं को बढ़ाने में मददगार होगा। इसके अलावा, ‘जेवलिन’ एंटी-टैंक मिसाइल और ‘स्ट्राइकर’ इन्फैंट्री कॉम्बैट व्हीकल्स की खरीद और सह-उत्पादन पर भी चर्चा हुई1012। दोनों देशों ने आतंकवाद के खिलाफ साझा लड़ाई को मजबूत करने का संकल्प लिया। ट्रंप ने 26/11 मुंबई हमले के आरोपी तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण को मंजूरी दी, जो भारत की एक बड़ी मांग थी।

भारत-अमेरिका रक्षा सहयोग: रणनीतिक साझेदारी की दिशा में ऐतिहासिक प्रगति

भारत और अमेरिका के बीच रक्षा सहयोग पिछले कुछ दशकों में बेहद मजबूत हुआ है। दोनों देश हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सुरक्षा और स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए लगातार अपने सैन्य और तकनीकी संबंधों को बढ़ा रहे हैं।

मुख्य पहल और समझौते:

  1. लॉजिस्टिक्स एक्सचेंज मेमोरेंडम ऑफ एग्रीमेंट (LEMOA) – 2016
    • दोनों देशों की सेनाएं एक-दूसरे के सैन्य ठिकानों का उपयोग लॉजिस्टिक सपोर्ट, मरम्मत और पुनः आपूर्ति के लिए कर सकती हैं।
  2. कम्युनिकेशंस कॉम्पैटिबिलिटी एंड सिक्योरिटी एग्रीमेंट (COMCASA) – 2018
    • भारत को अमेरिका की संवेदनशील रक्षा तकनीकों और सुरक्षित संचार प्रणालियों तक पहुंच मिली।
  3. बेसिक एक्सचेंज एंड कोऑपरेशन एग्रीमेंट (BECA) – 2020
    • भारत को अमेरिका के उन्नत जियो-स्पेशियल मैपिंग डेटा और सैन्य उपग्रहों की जानकारी मिलती है, जिससे सटीक मिसाइल और ड्रोन ऑपरेशन में मदद मिलती है।

प्रमुख रक्षा सहयोग क्षेत्र:

  1. हथियार और रक्षा उपकरण:
    • अमेरिका से भारत ने C-17, C-130J सुपर हरक्यूलिस, P-8I, अपाचे और चिनूक हेलीकॉप्टर, M777 हॉवित्जर तोपें और MQ-9B प्रीडेटर ड्रोन खरीदे हैं।
    • दोनों देश उन्नत लड़ाकू जेट इंजन, नौसैनिक पोत और रक्षा टेक्नोलॉजी साझा करने पर काम कर रहे हैं।
  2. संयुक्त सैन्य अभ्यास:
    • मालाबार अभ्यास: भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया की नौसेनाओं के बीच हिंद-प्रशांत में युद्ध अभ्यास।
    • युद्ध अभ्यास: भारत-अमेरिका सेनाओं के बीच सामरिक सैन्य अभ्यास।
    • वज्र प्रहार और कोप इंडिया: विशेष बलों और वायुसेना के बीच रणनीतिक साझेदारी के तहत अभ्यास।
  3. स्वदेशी रक्षा उत्पादन और तकनीकी साझेदारी:
    • मेक इन इंडिया पहल के तहत अमेरिका की रक्षा कंपनियां भारत में निवेश बढ़ा रही हैं।
    • सेमीकंडक्टर्स, ड्रोन टेक्नोलॉजी और एयरोस्पेस में संयुक्त विकास पर जोर।
    • GE एयरोस्पेस और HAL के बीच उन्नत फाइटर जेट इंजन निर्माण के लिए करार।

हिंद-प्रशांत और वैश्विक रणनीतिक साझेदारी:

QUAD (भारत, अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया) और I2U2 (भारत, इज़राइल, UAE, अमेरिका) जैसे समूहों में रक्षा सहयोग। साझा सैन्य उत्पादन और उन्नत रक्षा टेक्नोलॉजी में निवेश। चीन की बढ़ती सैन्य गतिविधियों को संतुलित करने के लिए दोनों देशों का मजबूत रक्षा सहयोग। भारत और अमेरिका का यह रक्षा सहयोग सिर्फ हथियारों की खरीद-फरोख्त तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक दीर्घकालिक रणनीतिक साझेदारी है, जो वैश्विक और क्षेत्रीय सुरक्षा को मजबूत बनाने में मदद कर रही है।

3. ऊर्जा सहयोग

भारत ने अमेरिकी तेल और गैस का आयात बढ़ाने का संकल्प लिया, जिससे अमेरिका के व्यापार घाटे को कम करने में मदद मिलेगी। ट्रंप ने कहा कि अमेरिका भारत का प्रमुख ऊर्जा आपूर्तिकर्ता बन सकता है।भारत और अमेरिका के बीच ऊर्जा सहयोग हाल के वर्षों में काफी मजबूत हुआ है, खासकर स्वच्छ और नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में। दोनों देश ऊर्जा सुरक्षा, स्वच्छ ऊर्जा संक्रमण और जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए विभिन्न साझेदारियों पर काम कर रहे हैं।

4. वैश्विक सुरक्षा और कूटनीति

5. निजी संबंध और सांस्कृतिक आदान-प्रदान

भारत और अमेरिका के बीच केवल आर्थिक और रणनीतिक साझेदारी ही नहीं, बल्कि व्यक्तिगत और सांस्कृतिक स्तर पर भी मजबूत संबंध हैं। दोनों देशों के लोगों के बीच गहरे सामाजिक और सांस्कृतिक संबंध हैं, जो शिक्षा, प्रवास, कला, मनोरंजन और प्रौद्योगिकी के माध्यम से लगातार बढ़ रहे हैं। मोदी और ट्रंप के बीच गहरे व्यक्तिगत संबंध हैं, जो ‘हाउडी मोदी’ और ‘नमस्ते ट्रंप’ जैसे आयोजनों में देखे जा सकते हैं। ट्रंप ने मोदी को “मैग्निफिसेंट मैन” और “असली दोस्त” बताया, जबकि मोदी ने ट्रंप की “अमेरिका फर्स्ट” नीति की सराहना की।तेल और गैस व्यापार अमेरिका भारत का प्रमुख कच्चे तेल और LNG आपूर्तिकर्ता बन गया है। 2023 में भारत ने अमेरिका से रिकॉर्ड 15 मिलियन टन LNG खरीदा। गैस आधारित अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ने के लिए दोनों देश नए गैस पाइपलाइन और LNG टर्मिनल विकसित कर रहे हैं।

मोदी-ट्रंप मुलाकात ने भारत-अमेरिका संबंधों को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। दोनों नेताओं के बीच गहरे व्यक्तिगत संबंध और साझा राजनीतिक दृष्टिकोण ने इस साझेदारी को और मजबूत बनाया है। भविष्य में, यह साझेदारी न केवल दोनों देशों के लिए, बल्कि वैश्विक शांति और समृद्धि के लिए भी फायदेमंद साबित हो सकती है। भारत और अमेरिका का यह व्यापारिक रिश्ता न केवल आर्थिक विकास को गति देगा, बल्कि वैश्विक व्यापार व्यवस्था में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

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