
डिजिटल इंडिया (Digital India)
डिजिटल इंडिया भारत सरकार की एक प्रमुख पहल है, जिसका उद्देश्य देश को डिजिटल रूप से सशक्त समाज और ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था में परिवर्तित करना है। इसे 1 जुलाई 2015 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा लॉन्च किया गया था। डिजिटल इंडिया कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य डिजिटल तकनीकों का उपयोग करके नागरिकों को सरकारी सेवाएँ तेजी से और अधिक पारदर्शी तरीके से प्रदान करना है। इसके तहत देश में डिजिटल अवसंरचना का विकास, डिजिटल सेवाओं की उपलब्धता और नागरिकों को डिजिटल सशक्तिकरण की दिशा में काम किया जाता है।
डिजिटल इंडिया के प्रमुख घटक:-
डिजिटल इंडिया के तीन मुख्य घटक हैं:
डिजिटल अवसंरचना (Infrastructure) का विकास
- ब्रॉडबैंड हाईवे
- सार्वभौमिक मोबाइल कनेक्टिविटी
- सार्वजनिक इंटरनेट एक्सेस कार्यक्रम
नागरिकों को डिजिटल रूप से सशक्त बनाना
- डिजिटल साक्षरता अभियान
- मोबाइल और इंटरनेट तक सभी की पहुंच
- भाषाई और स्थानीय स्तर पर डिजिटल सामग्री उपलब्ध कराना
सरकारी सेवाओं की डिजिटल डिलीवरी
- ई-गवर्नेंस के माध्यम से सेवाओं की ऑनलाइन उपलब्धता
- आधार आधारित डिजिटल पहचान
- क्लाउड पर आधारित प्लेटफ़ॉर्म (DigiLocker, e-Hospital, MyGov आदि)
डिजिटल इंडिया के लाभ
- सरकारी सेवाओं तक आसान और त्वरित पहुँच
- भ्रष्टाचार में कमी और पारदर्शिता में वृद्धि
- डिजिटल भुगतान को बढ़ावा और कैशलेस अर्थव्यवस्था का विकास
- ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के बीच डिजिटल विभाजन को कम करना
- रोजगार के नए अवसरों
डिजिटल इंडिया के प्रभाव और चुनौतियाँ
डिजिटल इंडिया पहल ने भारत में तकनीकी नवाचार और डिजिटल अवसंरचना के विकास में क्रांतिकारी परिवर्तन लाए हैं। इस पहल से सरकारी सेवाएँ, डिजिटल भुगतान, शिक्षा, स्वास्थ्य और व्यापार के क्षेत्रों में उल्लेखनीय प्रभाव पड़ा है। हालांकि, इस यात्रा में कई चुनौतियाँ भी सामने आई हैं।
डिजिटल भुगतान का विस्तार
- UPI, भीम (BHIM), RuPay, और मोबाइल वॉलेट के कारण डिजिटल लेन-देन में वृद्धि हुई।
- नोटबंदी (2016) के बाद डिजिटल भुगतान को बड़ा बढ़ावा मिला।
- छोटे व्यवसाय और स्टार्टअप्स को डिजिटल माध्यम से अधिक अवसर प्राप्त हुए।
स्टार्टअप और उद्यमिता को बढ़ावा
- डिजिटल प्लेटफार्म्स और ई-कॉमर्स (Flipkart, Amazon, GeM) के कारण छोटे उद्यमों को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय बाजारों तक पहुँच मिली।
- “मेक इन इंडिया” और “स्टार्टअप इंडिया” जैसे अभियानों को डिजिटल इंडिया से समर्थन मिला।
डिजिटल इंडिया की चुनौतियाँ
डिजिटल विभाजन (Digital Divide)
- शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के बीच इंटरनेट और डिजिटल सेवाओं की असमानता अब भी बनी हुई है।
- साक्षरता और तकनीकी ज्ञान की कमी से ग्रामीण भारत में डिजिटल सेवाओं का उपयोग सीमित है।
डिजिटल साक्षरता की कमी
- बड़ी आबादी अभी भी स्मार्टफोन, कंप्यूटर और डिजिटल सेवाओं का उपयोग करने में असमर्थ है।
- डिजिटल इंडिया अभियान को प्रभावी बनाने के लिए जागरूकता अभियान और प्रशिक्षण कार्यक्रम आवश्यक हैं।
स्थानीय भाषाओं में डिजिटल सेवाओं की कमी
- भारत में कई भाषाएँ बोली जाती हैं, लेकिन अधिकतर डिजिटल सेवाएँ अभी भी अंग्रेजी में उपलब्ध हैं।
- सभी नागरिकों के लिए डिजिटल सेवाएँ उपयोगी बनाने हेतु क्षेत्रीय भाषाओं में अधिक सामग्री विकसित करने की आवश्यकता है।
इंटरनेट और साइबर सुरक्षा का जोखिम
- साइबर क्राइम, डेटा चोरी, और डिजिटल धोखाधड़ी की घटनाएँ बढ़ी हैं।
- साइबर सुरक्षा के लिए जागरूकता और मजबूत कानूनों की आवश्यकता है।
बुनियादी ढाँचे की कमी
- कई ग्रामीण और पहाड़ी क्षेत्रों में इंटरनेट की गति धीमी है और ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी की कमी है।
- डिजिटल सेवाओं को निर्बाध रूप से प्रदान करने के लिए मजबूत नेटवर्क इंफ्रास्ट्रक्चर की जरूरत है।
रोजगार पर प्रभाव
- डिजिटल ऑटोमेशन से कुछ पारंपरिक नौकरियों पर खतरा बढ़ गया है।
- लोगों को नई डिजिटल स्किल्स सिखाने और पुनः प्रशिक्षित करने की आवश्यकता है।
डिजिटल भुगतान का विस्तार
- UPI, भीम (BHIM), RuPay, और मोबाइल वॉलेट के कारण डिजिटल लेन-देन में वृद्धि हुई।
- नोटबंदी (2016) के बाद डिजिटल भुगतान को बड़ा बढ़ावा मिला।
- छोटे व्यवसाय और स्टार्टअप्स को डिजिटल माध्यम से अधिक अवसर प्राप्त हुए।