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90 घंटे के कार्य सप्ताह की बहस ने काम के घंटों और जीवन संतुलन पर एक बार फिर से चर्चा छेड़ दी है।

90 घंटे के कार्य सप्ताह की बहस ने काम के घंटों और जीवन संतुलन पर एक बार फिर से चर्चा छेड़ दी है। यह विषय तब उभरता है जब कंपनियों, व्यक्तियों या कार्य संस्कृति से संबंधित ऐसी घटनाएं सामने आती हैं जिनमें लोग लंबे समय तक काम करते हैं। आइए जानें कि किस देश में लोग सबसे लंबे समय तक काम करते हैं और इसका असर क्या होता है:

सबसे ज्यादा काम करने वाले देश:

  1. दक्षिण कोरिया:
    • पहले दक्षिण कोरिया में काम के घंटों की औसत संख्या बहुत अधिक थी। हालांकि सरकार ने इसे घटाने के लिए कदम उठाए हैं।
    • 52 घंटे का कार्य सप्ताह लागू किया गया है, लेकिन कुछ क्षेत्रों में अब भी लंबे घंटे की समस्या बनी हुई है।
  2. जापान:
    • जापान की “कैरॉशी” (काम से मृत्यु) संस्कृति कुख्यात है, जहां कर्मचारी अत्यधिक कार्यभार के कारण मानसिक और शारीरिक समस्याओं का सामना करते हैं।
    • हाल के वर्षों में कंपनियां इसे नियंत्रित करने के लिए कदम उठा रही हैं।
  3. भारत:
    • भारत में कई क्षेत्रों, खासकर टेक्नोलॉजी और स्टार्टअप्स में, कर्मचारियों से लंबे समय तक काम करने की उम्मीद की जाती है।
    • हालांकि, फिक्स्ड टाइम शिफ्ट वाले सरकारी और पारंपरिक कार्यालयों में यह प्रवृत्ति कम है।
  4. अमेरिका:
    • अमेरिका में कई पेशेवर दिन में औसतन 40-50 घंटे काम करते हैं।
    • स्टार्टअप्स और कॉर्पोरेट जगत में अधिक घंटों तक काम करने की प्रवृत्ति अधिक देखी जाती है।

लंबे काम के घंटे का प्रभाव:

काम और जीवन के संतुलन की दिशा में पहल:

यह बहस हमें याद दिलाती है कि एक स्वस्थ कार्य संस्कृति के निर्माण के लिए काम के घंटे और व्यक्तिगत समय के बीच सही संतुलन बनाना कितना जरूरी है।

काम के घंटों की बहस क्यों छिड़ी?

हाल के समय में 90 घंटे के कार्य सप्ताह का मुद्दा तब गरमाया जब कुछ प्रमुख उद्योगपतियों और कार्यक्षेत्र के लीडर्स ने इसे सफल होने के लिए जरूरी बताया। यह विचार कि सफलता के लिए अत्यधिक मेहनत और लंबे कार्य घंटे आवश्यक हैं, विवादित हो गया है। सोशल मीडिया और सार्वजनिक मंचों पर इसके विरोध और समर्थन में आवाजें उठ रही हैं।

समर्थकों का तर्क:

विरोध करने वालों का तर्क:

देशों में बदलाव की दिशा:

कई देश अब काम और जीवन के संतुलन को बेहतर बनाने के लिए कदम उठा रहे हैं:

जर्मनी:यहां वर्किंग ऑवर्स का कड़ा नियमन है।को पर्याप्त ब्रेक और समय सीमा का पालन करने के लिए मजबूर किया जाता है।

    भारत में काम की स्थिति:

    क्या है सही समाधान?

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