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पंजाब के किसानों जीवन बदलने बदलने सर छोटूराम :-“किसानों का मसीहा”

सर छोटूराम (1881-1945) भारत के स्वतंत्रता संग्राम के एक प्रमुख नेता, समाज सुधारक और किसानों के अधिकारों के प्रबल समर्थक थे। उनका जन्म 24 नवंबर 1881 को ब्रिटिश भारत के रोहतक जिले के गढ़ी सांपला गांव (अब हरियाणा में) में एक जाट परिवार में हुआ था। उनका असली नाम रामRichhpal था, लेकिन बाद में उन्हें “छोटूराम” के नाम से जाना गया।

सर छोटूराम का योगदान:

  1. किसानों के अधिकारों के लिए संघर्ष:
    • छोटूराम को “किसानों का मसीहा” कहा जाता है। उन्होंने किसानों के शोषण को समाप्त करने के लिए कई कानून बनवाए। उनके प्रयासों से ब्रिटिश सरकार ने किसानों के हित में कई सुधार किए, जैसे साहूकारों के खिलाफ कानून।
    • 1935 में, उन्होंने पंजाब के किसानों को ऋणमुक्त कराने के लिए “ऋण मुक्ति अधिनियम” लागू करवाया, जिससे साहूकारों के अत्याचारों को रोकने में मदद मिली।
  2. राजनीतिक जीवन:
    • सर छोटूराम ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से जुड़े रहने के बाद 1923 में “यूनियनिस्ट पार्टी” (जमींदारा लीग) की स्थापना की। यह पार्टी विशेष रूप से किसानों, मजदूरों और ग्रामीण समुदायों के हितों की रक्षा के लिए काम करती थी।
    • वे पंजाब के मंत्री (राजस्व, कृषि और विकास) भी रहे और किसानों के लिए कई नीतियां लागू कीं।
  3. शिक्षा और जागरूकता:
    • उन्होंने ग्रामीण इलाकों में शिक्षा को बढ़ावा देने और समाज में जाति व्यवस्था के खिलाफ जागरूकता फैलाने का काम किया।
    • गरीब किसानों और मजदूरों को शिक्षित करने के लिए उन्होंने कई स्कूल और कॉलेज स्थापित किए।
  4. समाज सुधार:
    • छोटूराम ने जमींदारों, मजदूरों और किसानों के बीच एकता स्थापित करने की दिशा में काम किया।
    • उन्होंने महिला सशक्तिकरण के लिए भी काम किया और विधवा पुनर्विवाह को बढ़ावा दिया।

उपाधि “सर” कैसे मिली:

1941 में, ब्रिटिश सरकार ने उन्हें उनके सामाजिक और राजनीतिक कार्यों के लिए “नाइटहुड” की उपाधि देकर सम्मानित किया, जिसके बाद वे “सर छोटूराम” कहलाए।

विरासत:

सर छोटूराम का योगदान आज भी किसानों और मजदूरों के बीच प्रेरणा का स्रोत है। हरियाणा, पंजाब और उत्तर भारत के अन्य हिस्सों में उन्हें एक महान नेता और समाज सुधारक के रूप में याद किया जाता है। उनके आदर्श और उनके द्वारा किए गए कार्य आज भी प्रासंगिक हैं।

सर छोटूराम का निधन 9 जनवरी 1945 को हुआ, लेकिन उनका जीवन और विचारधारा आज भी भारतीय समाज में गूंजती है।

सर छोटूराम का जीवन और योगदान इतना व्यापक और प्रभावशाली था कि उनका हर पहलू चर्चा के योग्य है। आइए उनके जीवन और कार्यों के कुछ और पहलुओं को विस्तार से समझें:


1. कृषि और कानून में सुधार


2. यूनियनिस्ट पार्टी की स्थापना और भूमिका


3. ग्रामीण शिक्षा का विकास


4. सामाजिक सुधारक के रूप में योगदान


5. उनकी विचारधारा और नेतृत्व शैली


6. मरणोपरांत सम्मान और प्रभाव


प्रेरणादायक उद्धरण

सर छोटूराम का एक प्रसिद्ध कथन है:
“जिस खेत से किसान को अपने परिवार के लिए रोटी न मिले, उस खेत में उगने वाली फसल को आग लगा दो।”
यह कथन उनके किसानों के प्रति समर्पण और उनके अधिकारों की रक्षा के लिए उनके संघर्ष को दर्शाता है।


नहर परियोजनाएं और सिंचाई व्यवस्था


सर छोटूराम का जीवन हमें दिखाता है कि किस तरह एक व्यक्ति अपने प्रयासों और दृष्टिकोण से लाखों लोगों के जीवन को बदल सकता है। उनका योगदान भारतीय इतिहास में हमेशा याद रखा जाएगा।

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