अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति और 2024 के चुनाव में रिपब्लिकन पार्टी के संभावित उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में एक चौंकाने वाली आर्थिक योजना का संकेत दिया है। ट्रंप का कहना है कि अगर वे दोबारा राष्ट्रपति चुने जाते हैं, तो वे कनाडा से आयात होने वाले उत्पादों पर 35% टैरिफ (आयात शुल्क) लगा सकते हैं।
यह योजना अमेरिकी अर्थव्यवस्था को “मेड इन USA” के रास्ते पर वापस लाने की एक कोशिश के रूप में बताई जा रही है। लेकिन इसके दूरगामी परिणाम सिर्फ अमेरिका या कनाडा तक सीमित नहीं रहेंगे, बल्कि वैश्विक व्यापार पर भी असर डाल सकते हैं।
ट्रंप ऐसा क्यों करना चाहते हैं?
ट्रंप हमेशा से प्रोटेक्शनिज़्म (सुरक्षात्मक आर्थिक नीति) के समर्थक रहे हैं। उनके अनुसार, सस्ते विदेशी उत्पादों के कारण अमेरिकी उद्योग और श्रमिकों को नुकसान हो रहा है। 2016-2020 के कार्यकाल में भी उन्होंने चीन, मैक्सिको और यूरोपीय देशों पर टैरिफ लगाए थे।
अब उनका तर्क है कि कनाडा जैसे देश अमेरिका के साथ “अन्यायपूर्ण व्यापार” कर रहे हैं, और वहां से आयातित वस्तुएं अमेरिकी उत्पादकों के लिए प्रतिस्पर्धा को असंतुलित बना रही हैं।
कनाडा पर टैरिफ का क्या असर होगा?
1. उपभोक्ताओं पर सीधा असर:
कनाडा से अमेरिका में दूध, लकड़ी, कार के पुर्जे, और कई कृषि उत्पाद आते हैं। टैरिफ बढ़ने पर ये उत्पाद महंगे हो जाएंगे, जिससे अमेरिकी उपभोक्ताओं को जेब से ज्यादा खर्च करना पड़ेगा।
2. कनाडा की प्रतिक्रिया:
ऐसे किसी भी कदम के जवाब में कनाडा भी अमेरिका पर टैरिफ लगा सकता है। इसका नतीजा व्यापार युद्ध (Trade War) के रूप में हो सकता है, जैसा पहले अमेरिका और चीन के बीच देखा गया था।
3. अर्थव्यवस्था पर दबाव:
कंपनियों की लागत बढ़ेगी, और वे ये बोझ उपभोक्ताओं पर डालेंगी। इससे महंगाई बढ़ सकती है। साथ ही, कुछ अमेरिकी कंपनियों को कनाडा में व्यापार करना महंगा और मुश्किल लगेगा।
क्या भारत जैसे देशों के लिए इसमें अवसर छिपा है?
जहां एक ओर अमेरिका और कनाडा के बीच व्यापार तनाव बढ़ सकता है, वहीं दूसरी ओर कुछ देशों के लिए यह अवसर बन सकता है:
✅ भारत के लिए संभावना:
यदि अमेरिका कनाडा से आयात में कटौती करता है, तो कई वस्तुओं के लिए विकल्प की आवश्यकता होगी। ऐसे में भारत के दूध उत्पाद, आईटी सेवाएं, फार्मास्यूटिकल्स, कपड़ा, और ऑटो पार्ट्स अमेरिकी बाजार में अपनी जगह बना सकते हैं।
लेकिन इसके लिए भारत को गुणवत्ता, लॉजिस्टिक्स और व्यापार समझौतों पर तेजी से काम करना होगा।
वैश्विक व्यापार संगठन (WTO) की भूमिका
विश्व व्यापार संगठन (WTO) के नियमों के अनुसार, सदस्य देश एकतरफा टैरिफ नहीं बढ़ा सकते जब तक कि इसके पीछे कोई ठोस और कानूनी आधार न हो। अगर ट्रंप की यह योजना लागू होती है, तो यह WTO नियमों का उल्लंघन भी माना जा सकता है।
⚖️ संभावित परिणाम:
WTO में अमेरिका के खिलाफ शिकायतें दर्ज हो सकती हैं।
अमेरिका की वैश्विक छवि प्रभावित हो सकती है।
अन्य देश भी एकतरफा टैरिफ बढ़ाने की राह पकड़ सकते हैं, जिससे वैश्विक व्यापार व्यवस्था खतरे में पड़ सकती है।
व्यापार युद्ध का डर
टैरिफ लगाने और जवाबी टैरिफ की प्रक्रिया एक “ट्रेड वॉर” को जन्म देती है। 2018-19 में अमेरिका और चीन के बीच ऐसा ही हुआ था। इस तरह के युद्धों में:
वस्तुएं महंगी हो जाती हैं
व्यापार धीमा होता है
निवेशकों का भरोसा घटता है
बेरोज़गारी बढ़ सकती है
इसलिए ट्रंप की योजना को लेकर उद्योगों और बाजार विशेषज्ञों में चिंता साफ दिख रही है।
अमेरिकी उद्योगों की राय
अमेरिका के कई बड़े उद्योग संगठन जैसे कि National Association of Manufacturers और U.S. Chamber of Commerce ट्रंप की नीतियों से असहमत नजर आते हैं।
उनका कहना है कि:
“अगर हम व्यापारिक साझेदारों पर भारी शुल्क लगाएंगे, तो वे भी बदले में वही करेंगे। इसका नुकसान अमेरिकी किसानों, निर्माताओं और उपभोक्ताओं को ही होगा।”
ट्रंप की नीति का चुनावी समीकरण
डोनाल्ड ट्रंप का यह कदम मिडवेस्ट अमेरिका के उन किसानों और श्रमिकों को लुभाने की रणनीति है, जो वैश्वीकरण के कारण नुकसान महसूस करते हैं। उनके लिए ट्रंप का संदेश है:
“मैं तुम्हारे लिए लड़ रहा हूं। बाहर के देशों को फायदा उठाने नहीं दूंगा।”
यह भावना चुनाव में भावनात्मक रूप से काम कर सकती है, लेकिन आर्थिक दृष्टि से यह एक जोखिम भरा दांव हो सकता है।
निष्कर्ष: सोच-समझकर उठाना होगा कदम
ट्रंप की 35% टैरिफ की योजना न केवल अमेरिका-कनाडा संबंधों को हिला सकती है, बल्कि पूरी वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला और व्यापार तंत्र को अस्थिर कर सकती है।
जहां एक ओर यह कदम अमेरिका में ‘राष्ट्रवादी व्यापार नीति’ के रूप में देखा जा रहा है, वहीं दूसरी ओर यह अंतरराष्ट्रीय व्यापारिक रिश्तों में नई दरारें पैदा कर सकता है।
अब देखना यह होगा कि:
क्या ट्रंप सच में यह नीति लागू करेंगे?
या फिर यह केवल एक चुनावी शिगूफा साबित होगी?
राजनीतिक मकसद?
विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप की यह रणनीति चुनावी समर्थन जुटाने के लिए हो सकती है। ‘अमेरिका फर्स्ट’ की भावना को भुनाना और घरेलू उद्योगों को समर्थन देने का संदेश देना ट्रंप की राजनीतिक रणनीति का हिस्सा रहा है।
कनाडा पर 35% टैरिफ लगाने की योजना एक ऐसा मुद्दा है, जो सिर्फ आर्थिक नहीं, बल्कि राजनीतिक, कूटनीतिक और सामाजिक दृष्टिकोण से भी अहम है। इससे अमेरिका-कनाडा संबंधों में तनाव आ सकता है और वैश्विक व्यापार व्यवस्था भी प्रभावित हो सकती है।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि यह योजना सिर्फ एक चुनावी वादा बनकर रह जाती है या वास्तव में लागू होती है।