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महाकुंभ मेला 2025

महाकुंभ 2025 का आयोजन भारत के उत्तर प्रदेश राज्य में, प्रयागराज (पूर्व में इलाहाबाद) में किया जाएगा।

यह एक विशेष और ऐतिहासिक हिंदू धार्मिक आयोजन है, जिसे कुंभ मेला के नाम से भी जाना जाता है।

महाकुंभ में लाखों श्रद्धालु और साधु-संत इस धार्मिक पर्व का हिस्सा बनने के लिए जुटते हैं।

महाकुंभ का महत्व:

महाकुंभ एक अत्यंत पवित्र और प्राचीन हिंदू पर्व है, जो हर 12 साल में आयोजित होता है। यह पर्व पवित्र नदियों (जैसे गंगा, यमुन, और सरस्वती) के संगम स्थल, प्रयागराज में मनाया जाता है। कहा जाता है कि यहाँ संगम (गंगा और यमुनो का मिलन स्थल) में स्नान करने से पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

महाकुंभ 2025 की तारीखें:

महाकुंभ 2025 का आयोजन 12 जनवरी 2025 से 19 फरवरी 2025 के बीच होगा। यह कुंभ मेला 6 सप्ताह तक चलेगा, जिसमें विशेष स्नान पर्व (Shahi Snan) होंगे, जो पूरे आयोजन का मुख्य आकर्षण होते हैं।

महाकुंभ के प्रमुख स्नान तिथियाँ:

महाकुंभ के दौरान कई खास स्नान तिथियाँ होती हैं, जिन्हें श्रद्धालु बड़ी श्रद्धा और विश्वास से करते हैं। इनमें प्रमुख हैं:

  1. मकर संक्रांति (14 जनवरी 2025) – यह तिथि महाकुंभ के दौरान सबसे महत्वपूर्ण होती है, क्योंकि इस दिन लाखों लोग संगम में स्नान करते हैं।
  2. तुलसी विवाह (1 फरवरी 2025) – इस दिन विशेष पूजा और अनुष्ठान किए जाते हैं।
  3. बसंत पंचमी (25 जनवरी 2025) – एक और महत्वपूर्ण स्नान तिथि होती है।

इसके अतिरिक्त, महाकुंभ के दौरान अन्य विशेष स्नान दिन जैसे नकली स्नान (Mauni Amavasya), महाशिवरात्रि, रोजा पर्व आदि होते हैं। इन सभी तिथियों पर लाखों श्रद्धालु पुण्य की प्राप्ति के लिए संगम में स्नान करते हैं।

कुंभ मेला का इतिहास:

कुंभ मेला हिंदू धर्म के सबसे बड़े और सबसे प्रसिद्ध धार्मिक आयोजनों में से एक है, जो प्राचीन काल से चला आ रहा है। यह मेला समुद्र मंथन से जुड़ी एक पौराणिक कथा पर आधारित है, जिसमें देवताओं और दैत्यों ने अमृत कलश के लिए युद्ध किया था। इस युद्ध में अमृत कलश को लेकर कुछ बूंदें पृथ्वी पर गिरीं, और इन स्थानों पर कुंभ मेला आयोजित किया जाता है।

महाकुंभ 2025 का आकर्षण:

कैसे पहुंचे महाकुंभ 2025 के लिए:

सावधानियां और तैयारी:

महाकुंभ 2025 भारत के सबसे बड़े धार्मिक आयोजनों में से एक होगा, जो न केवल भारत, बल्कि दुनियाभर से श्रद्धालुओं को आकर्षित करेगा। यह एक अद्भुत अनुभव होगा, जिसमें आस्था, धर्म, संस्कृति और परंपरा का संगम देखा जाएगा।

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